Lockdown Majak Nahi

Lockdown Majak Nahi आइए ये हम समझते है एक मनोरंजक प्रकरण से की क्यों लॉकडाउन मजाक नही।

एक वक़्त पूरे विश्व में महामारी फैली हुए थी। सभी लोग मिल कर इस महामारी से लड़ रहे थे।

एक देश के शासक ने इस महामारी से लड़ने के लिए लॉकडाउन (Lockdown) का फैसला लिया और देश वासिओं से उसका पालन करने का आग्रह किया। उस देश में, एक कॉलोनी में रहने वाले एक लड़के और कॉलोनी में रहने वाले उसके दोस्त अपने अपने घरो से इस बात पर बहस कर रहे थे की लॉकडाउन (Lockdown) में बाहर जाना चाहिए या नहीं, घर पर बोर हो गए ,चलो बाहर हो कर आते है कुछ नहीं होगा, कुछ लोग तो घूमते हुए दिख रहे है, हमारे शहर में तो कोई इफ़ेक्ट नहीं है, और भी बहोत से कारणों को गिना कर बाहर जाने का कारण ढूंढ रहे थे।

एक बुजुर्ग उनकी बाते सुन रहा था। ये बाते सुन कर उस से रहा नहीं गया, वो बोला "मै तुम लोगो की बाते बहोत देर से सुन रहा हूँ। तुम्हारी बाते सुन कर मुझे एक कहानी याद आ रही है, हालांकि इस कहानी का आज कल के हालत से कोई लेना देना नहीं है, फिर भी सुनो”

“एक बार की बात है एक आदमी को किसी इमरजेंसी काम से एक गांव से दूसरे गांव जाना था। वो अपने गांव  से निकला, चलते चलते उसने ध्यान दिया कि एक गधा उसके साथ साथ चल रहा है। उसने उसे भगाने की कोशिश की लेकिन वो नही भागा। चलते चलते वो ऐसे रास्ते पर पहुँचा जहां लैंडमाइन्स बिछे हुए थे। दूसरे गांव जाने के लिए और कोई रास्ता नहीं था, जैसे ही वो जाने के लिए आगे बढ़ता गधा भी उसके साथ आगे बढ़ता। उसने उसे फिर से भगाने की कोशिश की लेकिन वो नही भागा। अब वो आगे कैसे जाए उसे कोई उपाय नहीं सूझ रहा था।
Lockdown Stay Home

                                                                                                               Lockdown Me Karoge
बहोत सोचने पर उसे एक उपाय आया, उसने गधे को अपने कंधे पर उठाया और आगे चले लगा, बड़ी मुश्किल से उसने रास्ता पार किया, जैसे ही उसने रास्ता पार किया, वहाँ एक आदमी खड़ा था, वो ये सब देख कर आश्चर्यचकित हुआ।

उससे रहा नहीं गया, उसने पूछा 'आप ने इस गधे को क्यों कंधे पर उठा रखा है।’

उस व्यक्ति ने जवाब दिया ‘मै इमरजेंसी काम के लिए जा रहा था ये गधा मेरे साथ हो लिया, लेकिन इस लैंडमाइन्स बिछे रास्ते पर बहुत बड़ा संकट आ गया, मैं तो इंसान हूँ, मुझे पता है की लैंडमाइन्स कितने खतरनाक है, कब पैर आगे बढ़ाना है कब नहीं, कब आगे बढ़ना है, कब पीछे हटना है। लेकिन ये तो गधा है इसे नहीं पता, इसका एक

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 गलत कदम इसके साथ साथ मेरी जान भी खतरे में डाल सकता है। इसलिए इसे कंधे पर उठा रखा है, जिससे इसके साथ साथ मेरी जान भी बची रहे, और मै सुरक्षित अपने मंजिल पर पहुँच सकूँ। इंसान और गधे में यही अंतर है बुद्धि और समझदारी।‘


                       P.K.

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