Play With Future Story In Hindi
महामारी फैली हुई थी.. ..लॉकडाउन भी ख़त्म हो चुका था ..इस दौरान कई लोगो ने अपनों को खोया, नौकरियां गवाई, व्यापार बंद हुआ। स्कूल और कॉलेज प्रशासन के आदेश पर बंद चल रहे थे ..पढाई ऑनलाइन हो रही थी ..लोग अपने सामान्य जीवन की ओर बढ़ने की कोशिश कर रहे थे।

एक सोसाइटी में विजय, गौरव और रवि रहते थे.. तीनो दोस्त थे..विजय छोटी सी कम्पनी में काम करता था ..कंपनी बंद हो गयी ..नौकरी चली गयी ..पत्नी और एक बच्चे का अपना परिवार चलाने के लिए जो काम मिलता वो करता..

..गौरव सरकारी कॉलेज में लेक्चरार था.. वक़्त से सैलेरी आ जाती थी ..रवि की दवा की दुकान थी.. जो अच्छी चल रही थी।

तीनो के बच्चे एक ही स्कूल में पढ़ते थे ..अब उनकी पढाई ऑनलाइन चल रही थी ..स्कूल से फीस भरने के लिए समय समय पर मैसेज और नोटिस आते रहते थे।

विजय पैसो की तंगी की वजह से स्कूल की फीस नहीं दे पा रहा था.. ..गौरव की पत्नी स्कूल फीस भरने के लिए कहती तो गौरव ये कह कर कि ‘दे देंगे जल्दी क्या है..बहोत से पैरेंट्स ने नहीं दिया है’ ..इस बात को नजर-अंदाज(ignore) कर देता.. ..रवि की अपनी अलग सोच थी कि ‘स्कूल नहीं चल रहे, सिर्फ ऑनलाइन क्लास ..तो फीस क्यों भरना ..जब स्कूल चालू हो जायेंगे तो भर देंगे फीस’..

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एक दिन गौरव के घर की डोर बेल बजी..गौरव ने दरवाजा खोला ..सामने अपने स्कूल टाइम के टीचर (अध्यापक) को खड़ा पाया ..गौरव ने उन्हें आदर के साथ अंदर बुलाया ..’आप परेशान दिख रहे हैं..सब कुछ ठीक है’ गौरव ने पूछा      ..’अब कैसे बोलू..थोड़ी झीझक हो रही है’ टीचर ने जवाब दिया          ..’सर, आप के मेरे उपर बहोत अहसान हैं..स्कूल में मेरी फीस आप ने कई बार दी’ गौरव बोला..      ..’नहीं ऐसी कोई बात नहीं है..तुम एक अच्छे स्टूडेंट थे..मै नहीं चाहता था कि तुम्हारा भविष्य ख़राब हो..तुम्हारे पिता जी को पैसो की परेशानी रहती थी..बाद में वो मुझे पैसे लौटा दिया करते थे टीचर ने जवाब दिया..      ..’सर, जरुरत के वक़्त में निस्वार्थ काम आये..ऐसे बहुत कम लोग होते हैं.. ..सर आपने बताया नहीं..आप क्यों परेशान हैं’ गौरव ने पूछा

‘पत्नी की तबियत कई दिनों से ख़राब चल रही है..लड़की पढाई कर रही है..पत्नी के इलाज में पैसे और बचत ख़त्म हो गए हैं ..स्कूल से सैलरी भी नहीं मिल रही..मैंने बाहर उधार लेने के लिए कोशिश की लेकिन कहीं नहीं मिला ..मुझे कुछ पैसो की जरुरत है..मै पैसे आते ही लौटा दूंगा’ टीचर हिचकिचाते हुए बोले

‘सर, आप मुझे शर्मिंदा कर रहें हैं..बताये कितने की जरुरत है.. ..आप को स्कूल से सैलरी नहीं मिल रही है ये तो स्कूल की ज्यादती है..उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिये’ गौरव ने आश्चर्य से बोला

‘इसमें स्कूल की गलती नहीं है..स्कूल के पास पैसे होंगे..तो वो टीचरों को देंगे..स्टूडेंट्स के पैरेंट्स फीस भरेंगे तो पैसे स्कूल को मिलेंगे’ टीचर ने जवाब दिया

‘लेकिन सर ये वक़्त ऐसा है कि लोगो के पास पैसा नहीं है..तो फीस कैसे देंगे’ गौरव की बातों में सवाल था

“तुम्हारा कहना कुछ हद तक सही है..लेकिन पूरा सही नहीं है..मान लो एक स्कूल में एक हज़ार या पांच सौ स्टूडेंट है तो क्या उन सभी के पैरेंट्स को पैसो की परेशानी होगी..नहीं ना.. ..बीस(20) या तीस(30) प्रतिशत(%) पैरेंट्स को पैसो की परेशानी होगी..बचे हुए पैरेंट्स फीस न देने के..अपने कारणों को गिना कर फीस देने से बच रहे हैं.. ..लॉकडाउन में जब सबकुछ बंद था..लोगो की आमदनी या तो बंद थी या बहोत कम थी तो लोग..प्रशाशन को भला बुरा कहते थे कि..कमाएंगे नहीं तो खायेंगे क्या..घर कैसे चलेगा..अब जब लोगो की स्थिति ठीक हो गयी है..तो भी स्कूल की फीस देने में आनाकानी कर रहे हैं.. ..स्कूल से टीचर ही नहीं कई लोगो के परिवार चलते हैं..लोग ये भूल जाते हैं.. 

..अगर प्रशासन और स्कूल ये कह दे की जिनकी फीस जमा नहीं हुई है..उनके बच्चो को अगले साल भी उसी क्लास(सेम क्लास) में पढना होगा..तो लोग कहेंगे ये स्कूल और प्रशाशन की ज्यादती है ..स्टूडेंट के फ्यूचर के साथ खिलवाड़ है..स्कूल दबाव बना रहें हैं..लेकिन वही लोग भूले हुए हैं की स्कूल की फीस न देकर वो कई परिवार के साथ ज्यादती कर रहे हैं..

..उन लोगो के लिए ऑनलाइन क्लासेज की कोई वैल्यू नहीं है..आज टीचर पढ़ाना छोड़ कर कुछ और काम करने को मजबूर होता जा रहा है..क्यों कि सैलरी उन्हें मिल नहीं रही है ..जो पढ़ा रहे हैं..वो भी पैसे की तंगी से गुजर रहे हैं..उन टीचरों को क्या पता नहीं है कि..उनकी इस कंडीशन का जिम्मेदार कौन है ..आने वाले वक़्त में क्या वो उसी जज्बे और ईमानदारी से पढ़ा पाएंगे..

..जिन्होंने शिक्षा को पैसे बनाने का व्यापार बना दिया.. ..उन्हें..पैरेंट्स भला बुरा कहते हैं ..लेकिन आज जो सही शिक्षा दे रहा है..पैरेंट्स उन स्कूल के साथ क्या कर रहें है.. ..वो टीचर की मनह स्थिति को तोड़ रहें है ..जिसका असर आने वाले वक़्त में पढाई और स्टूडेंट के भविष्य पर पड़ेगा..

..बच्चे डॉक्टर..इंजिनियर बनना चाहते हैं..जिसकी नीव टीचर रखता है..आज टीचर की नीव बर्बाद कर रहे हैं पैरेंट्स.. ..पैरेंट्स को अभी ये समझ नही आ रहा है कि वो टीचर के भविष्य के साथ-साथ अपने बच्चो और आने वाली पीढ़ी के भविष्य के साथ खेल रहें है ..जो गलती नहीं..सामाजिक अपराध हैं” टीचर आँखों में सवाल लिए भरी हुई आवाज में बोलते गए

गौरव उनकी बातो में अपने आप को देख पा रहा था..वो भी तो यही गलती कर रहा है..एक तरह से किसी के हक को मार रहा है..किसी के परिवार से खुशी से जीने का हक छीन रहा है..स्कूल..टीचर और बच्चों के भविष्य से खेल रहा है..

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..अपने टीचर की जरुरत को पूरा कर..आदर के साथ विदा करने के बाद ..तुरंत उसने ऑनलाइन फीस भर कर एक अच्छे नागरिक होने की जिम्मदारी निभाई..क्यों की वो इस सामाजिक अपराध का भागी नहीं बनना चाहता था..

..”टीचर्स डे पर सोशल मीडिया पर ‘हैप्पी टीचर्स डे’ विश(Wish) करना ही काफी नहीं है..जिम्मेदार बनना होगा हम सबको..और जो नहीं हैं उन्हें जिम्मेदारी याद दिलानी होगी”..

 P.K.

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